विभाग के बारे में
जैव प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना वर्ष 1996 में विज्ञान संकाय के अंतर्गत
(वर्तमान में जीवन विज्ञान संकाय) जैवप्रोद्योगिकी के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण
शिक्षा प्रदान करने तथा प्रशिक्षित जैवप्रौद्योगिकी विकसित करने हेतु की गई.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार पठनकार्य युक्त पी. एच. डी. पाठ्यक्रम के
अलावा विभाग द्वारा स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर द्वि- वर्षीय एम. एस. सी. सहित
पाँच वर्षीय एकीकृत स्नातक/ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है..
विभाग केस्थापनोपरान्त अब तक बारह स्नातकोत्तर बैच सफलतापूर्वक निकल चुके हैं,
विभाग के छात्र GRE, CSIR-UGC(NET) CAT, ICMR, DBT,BET जैसे प्रतिष्ठित प्रतियोगी
परीक्षाओं में सफल हुए है. इस विभाग के भूतपूर्व छात्र वर्तमान में राष्ट्रीय एवं
अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठावान संस्थान जिसमे प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान,
ऐडल्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया लिमिटेड, एंटरोवायरस
शोध केंद्र आई.सी.एम.आर., रोचे डायगनोस्टिक शामिल है. में सेवाएँ दे रहे है.
जैवप्रौद्योगिकी विभाग में सूक्ष्मजीव विज्ञान, जैवरसायन विज्ञान, आणविक विज्ञान,
पादप तथा जन्तु उत्तक संवर्धन एवं जैव सूचना विज्ञान के लिए सुविकसित सुविधाएँ
उपलब्ध है. विभाग में. उपलब्ध उपकरणों में पी.सी. आर. थर्मोसाय्क्लर, जेल
डॉक्युमेंटेशन प्रणलि, वॉक इन कोल्ड रूम, Co2 इन्क्यूबेटर, गॅस क्रोमोटोग्राफ,
प्रयोगशाला फरमेंटर ELISA प्लेट रीडर एवं वाशर, अल्ट्रासोनीकेटर, फ्लोरोसेंट
माइक्रोस्कोप आदि शामिल हैं. उपरोक्त सुविधाओं के अलावा सेंट्रल इंट्रूमेन्टेशन
फेसिलिटी के अंतर्गत HPLC,LC-MS/MS, RT-PCR, केमीडाक एवं एटामिक एब्जार्बशन
स्पेक्ट्रोफोटोमीटर उपलब्ध है.
विभाग में प्रमुख शोध क्षेत्रों में पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन संदूषित मिट्टी,
जैव- सक्रिय यौगिकों के लिए कवकीय जैवविविधताओं का कृषि एवं वन अपशिष्ट आधारित जैव
प्रसंस्करण तथा बायोरिफाइनरी, सूक्ष्मजीव एवं पादप जनित एन्जाइम तथा मेटाबोलाइट
उत्पादन पर अध्ययन शामिल है. जैवप्रौद्योगिकी विभाग ने विभिन्न कार्यशालाओं और
सेमिनार का आयोजन किया है. उद्यमिता विकास और प्रबंधन भी एम.एस.सी. पाठ्यक्रम का
हिस्सा है. यह उद्यमशीलता के क्षेत्र में मार्ग प्रशस्तिकरण का कार्य करता है.
Minutes of Meetings